Ahilyadevi Mahamesh Yojana 2024 | शेळी, मेंढी, कुक्कुटपालन एवं चराई अनुदान योजना | Mahamesh Yojana |
Ahilyadevi Mahamesh Yojana 2024 : अहिल्यादेवी होल्कर महामेश योजना के अंतर्गत १८ योजना का लाभ आप ले सकते है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए आपको ऑनलइन प्रक्रिया करनी पड़ती है , उसके बारे में हम आगे बताने वाले है। इस योजना में कुल १८ योजना है , जिनमेंसे १५ योजना राजे यशवंतराव होल्कर महामेश योजना के अंतर्गत आती है , तो एक योजना मेढ़ी चराई अनुदान योजना के अंतर्गत आती है , तो एक योजना बकरी और मेंढी पालन को जगा खरीदने को अनुदान मिलता है, तो आखरी योजना में कुकुट पालन अनुदान मिलता है। ये सभी योजना अहिल्यादेवी महामेष योजना के अंतर्गत ही आते है।
राजे यशवंतराव होल्कर महामेष योजना :
राजे यशवंतराव होल्कर महामेष योजना अंतर्गत पशुपालक एक स्थायी स्थान पर रहकर मेंढीपालन करना चाहते हैं, उन्हें 20 मेंढियाँ और एक नर मेंढा (मेंढानगर) के समूह पर 75% अनुदान दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत उन्हें मेंढीपालन के लिए आवश्यक सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जिससे वे आसानी से पशुपालन कर सकें और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
राजे यशवंतराव होल्कर महामेष योजना अंतर्गत पशुपालक एक स्थानांतरित होते रहते है , उन्हें 20 मेंढियाँ और एक नर मेंढा (मेंढानगर) के समूह पर 75% अनुदान दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत उन्हें मेंढीपालन के लिए आवश्यक सभी बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, जिससे वे आसानी से पशुपालन कर सकें और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।
राजे यशवंतराव होल्कर महामेष योजना अंतर्गत जिसके पास २० मेंढा और उससे भी ज्यादा ४० पर ४० से काम मेंढी है , ऐसे लाभार्थी को १ सुधारित प्रजाति का मेंढा देकर ७५% अनुदान दिया ज्याता है।
जिनके पास स्वयं की 40 मेंढियाँ या उससे अधिक लेकिन 60 से कम मेंढियाँ हैं, ऐसे लाभार्थियों को सुधारित प्रजाति के 2 नर मेंढे 75% अनुदान दिया जायेगा।
जिनके पास स्वयं की 60 मेंढियाँ या उससे अधिक लेकिन 80 से कम मेंढियाँ हैं, ऐसे लाभार्थियों को सुधारित प्रजाति के 3 नर मेंढे 75% अनुदान दिया जायेगा।
जिनके पास स्वयं की 80 मेंढियाँ या उससे अधिक लेकिन 100 से कम मेंढियाँ हैं, ऐसे लाभार्थियों को 4 नर मेंढे 75% अनुदान दिया जाता है।
जिनके पास स्वयं की 100 मेंढियाँ या उससे अधिक मेंढियाँ हैं, ऐसे लाभार्थियों को सुधारित प्रजाति के 5 नर मेंढे 75% अनुदान दिया ज्याता है।
जिनके पास स्वयं की 20 मेंढियाँ और 1 नर मेंढा, इस प्रकार कुल 21 मेंढियाँ या उससे अधिक, लेकिन 40 से कम मेंढियाँ हैं, ऐसे मेंढीपालकों को एक ही स्थान पर स्थायी रूप से मेंढीपालन करने के लिए आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु 75% अनुदान का वितरण (स्थायी) किया ज्याता है।
जिनके पास स्वयं की 20 मेंढियाँ और 1 नर मेंढा, इस प्रकार कुल 21 मेंढियाँ या उससे अधिक, लेकिन 40 से कम मेंढियाँ हैं, ऐसे मेंढीपालकों को स्थलांतरित स्वरूप के मेंढीपालन के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु 75% अनुदान का वितरण (स्थलांतरित) किया ज्याता है।
जिनके पास स्वयं की 40 मेंढियाँ और 2 नर मेंढे, इस प्रकार कुल 42 मेंढियाँ या उससे अधिक हैं, ऐसे मेंढीपालकों को स्थायी रूप से एक ही स्थान पर मेंढीपालन करने के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु 75% अनुदान का वितरण (स्थायी) किया ज्याता है।
जिनके पास स्वयं की 40 मेंढियाँ और 2 नर मेंढे, इस प्रकार कुल 42 मेंढियाँ या उससे अधिक हैं, ऐसे मेंढीपालकों को स्थलांतरित स्वरूप के मेंढीपालन के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु 75% अनुदान का वितरण (स्थलांतरित) किया जयते है।
जिनके पास स्वयं की 40 मेंढियाँ और 2 नर मेंढे, इस प्रकार कुल 42 मेंढियाँ या उससे अधिक हैं, ऐसे मेंढीपालकों को स्थलांतरित स्वरूप के मेंढीपालन के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु 75% अनुदान का वितरण किया ज्याता है।
जिनके पास स्वयं की 40 मेंढियाँ और 2 नर मेंढे, इस प्रकार कुल 42 मेंढियाँ या उससे अधिक हैं, ऐसे मेंढीपालकों को स्थलांतरित स्वरूप के मेंढीपालन के लिए आवश्यक आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने हेतु 75% अनुदान का वितरण (स्थलांतरीत) किया ज्याता है।
कुट्टी किए गए हरे चारे का मुरघास (सिलेज) करने के लिए गैसडिया बांधने की मशीन (Mini Silage Baler Cum Wrapper) खरीदने हेतु अनुदान दिया ज्याता है।
पशुखाद्य कारखाने उभारने के लिए अनुदान .
ये सभी योजना राजे यशवंतराव होळकर महामेष योजना जो अहिल्यादेवी होळकर योजना के अंतर्गत ही वितरित की ज्याति है।
महामेष योजना की अधिक जानकारी और डॉक्यूमेंट आपको Mahamesh.org वेबसाइट पर जाकर देखे।
मेंढी चराई अनुदान :
1. मेंढी पालन का व्यवसाय पूरी तरह से स्थलांतरित पद्धति से किया जाता है। मेंढपाळ (पशुपालक) आमतौर पर अक्टूबर के महीने से अपने मेंढियों के लिए चारा और पानी की तलाश में भटकते रहते हैं। इस भटकने के दौरान, वे लगातार अपने मेंढियों के लिए चारा और पीने के पानी की खोज में स्थानांतरित होते हैं। जब बारिश का मौसम खत्म होता है और वे अपने मूल स्थान पर वापस आते हैं, तो वहां बारिश बहुत कम होती है, जिससे चारा उपलब्ध नहीं होता है।
2. जून से अक्टूबर के बीच मेंढपाळ स्थानीय क्षेत्रों, नदी किनारों, खेतों और नजदीकी वन क्षेत्रों में अपने मेंढियों की चराई करते हैं। वर्तमान में, किसान खेतों में कीटनाशक और रासायनिक उर्वरकों का बड़े पैमाने पर उपयोग कर रहे हैं। इसके साथ ही, राज्य में औद्योगीकरण की बढ़ती गतिविधियों के कारण, कई रासायनिक कंपनियों के कचरे को नदियों और नालों में डाला जा रहा है। इससे भटकने के दौरान मेंढियों का संपर्क इन विषाक्त रसायनों से हो जाता है, जिससे उन्हें विषबाधा होने के मामले अक्सर देखने को मिलते हैं।
इन विषाक्त रसायनों के संपर्क में आने के कारण मेंढपाळों को बड़े आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। जैसे-जैसे यह समस्या बढ़ रही है, उन्हें इस अवधि में अपने मेंढियों के लिए चारा उपलब्ध कराने में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
यदि सरकार द्वारा चराई के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है, तो मेंढपाळों को इन समस्याओं का सामना करने में राहत मिल सकती है। इससे उन्हें बेहतर चराई स्थानों की खोज करने में मदद मिलेगी और आर्थिक हानि को कम करने में सहायता मिलेगी।
योजना के कागदपत्र :
कास्ट सेर्टिफिकेट
आधार कार्ड
रेशन कार्ड
बैंक पासबुक
मेंढी पालन करने के लिए पशुवैद्यकीय हॉस्पिटल का प्रमाणपत्र
अपत्य स्वयंघोषणा पत्र (बंधपत्र नमुना क्र. २ )
स्वयम घोषणा पत्र (बंधपत्र नमुना क्र. ५ )
दिव्यांग प्रमाणपत्र
योजना के नियम :
1. इस योजना का लाभ केवल उन भटक्या जातियों (भज-क) के धनगर और समान समाज के उन मेंढपाळ (पशुपालक) परिवारों को मिलेगा, जिनके पास कम से कम 20 मेंढियाँ और 1 नर मेंढा हो। लाभ केवल एक परिवार के एक व्यक्ति को दिया जाएगा।
2. लाभार्थी की आयु 18 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए और 60 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।
3. लाभार्थियों की चयन प्रक्रिया में महिलाओं के लिए 30% और दिव्यांग व्यक्तियों के लिए 3% आरक्षण दिया जाएगा।
4. लाभार्थी को अपना आधार कार्ड आवेदन के साथ संलग्न करना होगा।
5. सेवा में ना होना आवेदनकर्ता या उनके परिवार का कोई सदस्य सरकारी, निमशासकीय या स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में सेवाकर्मी होना चाहिए या सेवा निवृत्त वेतनधारक होना चाहिए। इसके अलावा, वे राज्य या केंद्र सरकार के किसी सदस्य, पदाधिकारी या लोक प्रतिनिधि के लाभ का पात्र नहीं होना चाहिए।