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Electoral bond : क्या है इलेक्ट्रोरल बॉन्ड , और क्या है सच्चाई इलेक्ट्रोरल बॉन्ड के पीछे की ?

एलेक्ट्रोरल बॉन्ड क्या भारत का सबसे बड़ा घोटाला है ? क्या सरकार देश का पैसा लूटकर कैसे करोड़पति से पैसो की वसूली करती है।

एलेक्ट्रोरल बॉन्ड (Electoral bond) को सरकार ने २०१७ में लाया था , पहले जानते है की एलेक्ट्रोरल बॉन्ड क्या है। एलेक्ट्रोरल बॉन्ड पॉलिटिकल पार्टी यो चंदा देने के लिए लाया गया था । किसी भी कंपनी , इंसान , को अगर पॉलिटिकल पार्टी योको चंदा देना है , तो उसे Sbi बैंक में जाकर जितने पैसे डोनेट करने है , उतने पैसो का एलेक्ट्रोरल बॉन्ड खरीदकर पार्टी ऑफिस में देना होता है।

फिर इस एलेक्ट्रोरल बॉन्ड को (कूपन) ये पार्टियों को बैंक में जाकर रीडीम करना पड़ता है , अगर पार्टिया १५ दिन के अंदर ये बॉन्ड को रीडीम कर पाती , तो ये बॉन्ड का पैसा PM फंड में जमा किया जाता है। एलेक्ट्रोरल बॉन्ड (Electoral Bond) देताओ का नाम पता किसी भी पार्टी को या इंसान को नहीं दिया जाता , इस लिए कोन किसको कितना चंदा देता है , किसी को भी पता नहीं चलता। क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड का सच जानते है सविस्तर मे .

Political Party :

इलेक्टोरल बॉन्ड का इस्तिमाल सिर्फ पॉलिटिकल पार्टी को चंदा देना था , पर अभी ये पार्टिया इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) के पीछेसे वसूली का सबसे बड़ा घोटाला कर रही है। सत्ता में स्तिथ भारतीय जनता पार्टी ने सभी हदो को पार किया है , ईडी , सीबीआई , और पोलिस डिपार्टमेंट को आपने दबाव के नीछे रखकर इन संस्था को हात में लेकर इंडस्ट्री , या किसी भी वेक्ति पर छापे मारकर उसे टॉर्चर करना , फिर उसके साथ सेटलमेंट के रूप में जितनी चाहे उतनी वसूली इन इलेक्टोरल बॉन्ड से करवाना शुरू किया।

इस इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) पर जब ऑपोजिशन सवाल पूछने लगी तब श्री अरुण जेटली जी ने कहा था चिंता की कोई बात नहीं है , आपको ये बॉन्ड किसने दिया इसका पता किसीको भी पता नहीं चलेंगा। पर एक पत्रकार ने इस इलेक्टोरल बॉन्ड को जब टेस्ट के लिए भेजा तब पता चला था , की इस बॉन्ड पर एक सीक्रेट यूनिक नंबर होता है। जब इसपर सवाल पूछे जाने लगा तो कहा गया की ये एक सुरक्षा के हिसाब से इस नंबर को बनाया है , पर इस नंबर से डोनर का पता नहीं चल पायेगा। भलेही ये बीजेपी का छूट सबको समज आया था , क्यों की इसी नंबर से बीजेपी या ईडी को ये पता चल सकता है की किस डोनर ने कितना पैसा किस पार्टी को दिया है।

सीबीआई और ईडी के जरिये बीजेपी जो कंपनी टैक्स पेड नहीं करती या टैक्स की चोरी करती है , ऐसे कंपनी या संस्था पर ध्यान रखकर उनपर छापे मारे जाते है। पर छापे मारने के बाद इन कंपनी यो का पैसा या प्रॉपर्टी पर सेल नहीं लगाया जाता , बल्कि इन्ही कंपनीयो से सेटलमेंट करके इनसे इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) के जरिये करोडो की वसूली भारतीय जनता पार्टी करती है। इलेक्टोरल बॉन्ड के नंबर से कोन कितना पैसा देता है , इसपर ध्यान रखकर उस कंपनी को धमकाना और छापे मारकर परेशान करना ये काम बीजेपी सालो से करती आ रही है। अगर किसी कंपनी ने अपोजिशन को चंदा दिया तो उस पर कारवाई करके वे पैसे आपने पार्टी को मिलने के लिए कंपनी को ईडी और सीबीआई की धमकी मिलने लगती है।

चंदा दो धंदा लो

पिछले कुछ सालो में १४ बड़ी कंपनियों पर छापे मारे गए है , कंपनियों पर सरकार और एजेंसी की कड़ी नजर थी। छापे बाद इन कंपनियों पर एजेंसियोने कोई कठोर कारवाई नहीं की , बल्कि इनसे सेटलमेंट करके करोड़ो के इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond ) बीजेपी को डोनेट करने के लिए कहा गया। कुछ कम्पनिया ऐसी भी है जिनसे डील की गई की हम आपको टेंडर देंगे आपको हमारी पार्टी को कमीशन देना पड़ेगा। सबसे बड़ी कुछ डोनर कम्पनिया है , जिनमेंसे फ्यूचर गेमिंग नाम की एक है जो लॉटरी चलाती है , इस कंपनी पर जब रेड मारी गई थी तब इस कपंनी मालिक के बेटे मिलकर को निर्मला सीतारमण जी ने फोटो ट्वीट किया था।

इधर कंपनी पर रेड और उधर ग़फ़ले बाज से मिलना क्या सही है। इसी फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने भारतीय जनता पार्टी को १३६८ करोड़ के बॉन्ड इस कंपनी ने दिए है। मेघा इंजीनिरिंग एंड इंफ्रास्ट्रचर कंपनी ने ९८० करोड़ के Electoral Bond ख़रीदे है , २०२३ में ये कंपनी १४० करोड़ के बॉन्ड खरीदती है , और उसके महीने भर में ही इस कंपनी को ठाणे बोरीवली ट्विन टनेल प्रोजेक्ट मिलता है ,जो १४४०० करोड़ का है। उसके बाद ७ अक्टूबर २०२२ को जिंदल स्टील २५ करोड़ के बॉन्ड देती है , और इसी जिंदल कंपनी को ३ से ४ दिन के अंदर कोयला खदान का प्रोजेक्ट मिलता है।

२०२३ दिसम्बर में शिर्डी साई इलेक्ट्रिकल पर छापा गिरा और इसी कंपनी ने जनवरी २०२४ में ४० करोड़ के Electoral Bond डोनेट किये। वेदांता कंपनी को २०२१ में कोयला खदान का प्रोजेक्ट मिला और वेदांता ने अगले ही महीने २५ करोड़ के बॉन्ड डोनेट किये। इसके बाद मेघा इंजीनिरिंग २०२० को ४५०० करोड़ का कश्मीर के जोजिला टनेल का प्रोजेक्ट मिलता है , और ये कंपनी २० करोड़ के बॉन्ड डोनेट करती है।

क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड के नियम :

किसी भी कंपनी को अगर चंदा देना है तो उसके प्रॉफिट के कुछ पर्सेंट ही देना पड़ता है , पर इस नियम को इलेक्टोरल बॉन्ड से हटाया गया। इस नियम को हटाने से बेहद सारे शैल कंपनियों को अपना काला पैसा सफ़ेद करने का मौका मिला है , या उनका रास्ता साफ़ हुआ या किया गया। अगर कोई कंपनी लॉस में चल रही है तो ऐसी कंपनियों से चंदा नहीं लिया जा सकता , पर यहाँ सब उल्टा हो रहा है। क्विक सप्लाई नाम के कंपनी का प्रॉफिट सरकारी डेटा नुसार १३० करोड़ का है , पर इस कंपनी ने ४१० करोड़ के Electoral Bond डोनेट किये। कैसे जिस कंपनी का प्रॉफिट अगर १३० करोड़ है , वे कंपनी ४१० करोड़ के बॉन्ड कैसे खरीद सकती है। ऐसे बेहद सारे सवाल और घोटाले इस इलेक्टोरल बॉन्ड के पीछे छुपे हुए है।

टेंडर :

जनरल फाइनेंस के रूल के अनुसार अगर आप जनता के पैसे खर्च करते वक्त आपको बेहद ही सावधानी से ये पैसा सही जगह बिना बर्बाद किये खर्च करना चाहिए। जैसे कोई वेक्ति आपने पैसे खर्च करते वक्त बेहद ही विचारपूर्वक पैसे को खर्च करता है। कोई भी पब्लिक प्रोजेट आप अपने मनमर्जी से नहीं दे सकते , जिस कंपनी को पब्लिक प्रोजेक्ट दिया जा रहा है , उसकी क्षमता को जांच लेना चाहिए। कंपनी का अनुभव इसी क्षेत्र में कितना है , पिछले कामो का अनुभव , टेक्निकल क्षमता , मैन्युफैक्चरिंग फेसिलिटी , कंपनी की फिनान्सिअल परिस्तिती कैसी है , क्या कंपनी लॉस में तो नहीं है , सब देखना बेहद ही जरुरी होता है।

उत्तराखंड में टनल काम करते वक्त सुरंग गिरती है और इस सुरंग में ४१ कामगार फस गए थे ,इस सुरंग को बनाने का प्रोजेक्ट नवयुग इंजिनिअरींग को मिला था। इस कंपनी ने २०१९ और २०२२ में ५५ करोड़ केElectoral Bond डोनेट किये है। ऐसी ही एक मेहरबानी एक हुए कंपनी पर किए है , दिसम्बर २०२१ में अहमदाबाद में एक अंडर कंट्रक्शन फ्लाई ओवर निचे गिर गया था , इस फ्लाई ओवर को रंजीत बिल्डकॉन लिमिटेड कंपनी बना रही थी।

जब इस कंपनी की इन्क्वायरी हुई तब पता चला की इस कंपनी ने कॉनक्रीट और कंट्रक्शन के क्वालिटी पर कम्प्रोमैज किया गया था। इसके बाद भी इस कंपनी को बेहद सारे प्रोजेक्ट गुजरात और बड़ोदरा में मिले। जनवरी और जुलाई के बिच इस कंपनी ने ९ करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड डोनेट किये है।

और एक पुणे महाराष्ट्रा बेस कंपनी है , बीजी शीरखे कंट्रक्शन प्रा.ली कंपनी है , इस कंपनी ने २०२३ और २०२४ के बिच ११८ करोड़ के Electoral Bond ख़रीदे है। बीजी शीरखे कंट्रक्शन प्रा.ली कंपनी पर जून २०२२ में एक एफआईआर दर्ज हुआ था , कंपनी के हाउसिंग प्रोजेक्ट कंट्रक्शन साइट पर एक एलेवेटर क्रैश में ४ लोगो की मौत हुई थी। और २०१८ में भी इसी कंपनी के कंट्रक्शन साइट पर टावर क्रेन से गिरकर ४ लोगो की मौत हुई थी , चंदे के लिए सरकार को इंसान के जान की कोई परव्हा नहीं है। बस आप चंदा टाइम पर दो बाकि हम देखेंगे , लोगो के बारे में सोचने की जरूरत नहीं है , सरकार सब संभाल लेंगी।

मेघा इंजीनियरिंग कंपनी ने २०१९ से लेकर २०२३ के बिच ९६६ करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) ख़रीदे थे , इसके साथ ही क्विक सप्लाय चैन कंपनी ने भी ४१० करोड़ के बॉन्ड खरीदे थे। और तीन कंपनी जो इस कंपनी से जुडी हुई है वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड , SEPC पावर और एव्री ट्रान्स प्राईव्हेट लिमिटेड इन तीनो कंपनी ने १२०० करोड़ के बॉन्ड डोनेट किये है।

इस डोनेट के बदले इन कंपनियों को जून २०१९ को तेलंगना के चीफ मिनिस्टर चंद्रशेखर राव ने कलेश्वेरम मल्टीपर्पस इरिगेशन प्रोजेक्ट उद्घाटन किया , सीएजी के रिपोर्ट के अनुसार इस प्रोजेक्ट की कीमत ८१,९९१ करोड़ पर अब इस प्रोजेक्ट को बनाने में १,४७,४२७ करोड़ लगने वाले है। सीएजी ( CAG )के रिपोर्ट के अनुसार मेघा इंजीनिरिंग को ५१८८ करोड़ के एक्सेस पे किये गए थे , चार पैकेज के लिए इसमें पंप मोटर्स एकुप्मेंट सप्लाय और कमीशनिंग थी। इसके बाद L&T , नवयुग इंजिनिअरींग सबको मिलाके ७५०० करोड़ के एक्सटेंडेड UNDUE बेनिफिट मिले थे।

क्या ये है हिंदुत्व : 

अलाना बीफ कटिंग कंपनी है , इस कंपनी में बैस (BUFFELO) , भेड़ (SHEEP) , बकरी (GOAT) को काटा जाता है , जहा किसी जानवर को लाकर काटा जाता ऐसी कम्पनी से भी चंदा लिया जाता है। ये मुद्दा सभी हिन्दू के लिए बेहद ही महत्व पूर्ण है , ये पॉलिटिकल पार्टिया कैसे लोगोको बेवखूब बनाती है , कोई हिन्दू किसी जिन्दा प्राणी को काटकर पैसे कैसे ले सकता है।

पर ये पार्टिया सिर्फ नाटक करती है , लोगो में जाती पाति का राजकारण करके लोगो को भड़काती है , शिवसेना जो हिन्दू को लेकर बेहद ही एग्रेसिव रहती है , वे अलाना से ५ करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) कैसे ले सकती है। भारतीय जनता पार्टी खुद को कट्टर हिन्दूवादी पार्टी समझती है तो अलाना से २ करोड़ के बॉन्ड कैसे लिए गए। जनता को बेवखूब बनाके अपना स्वार्थ ये पार्टिया देखती है , ना इनको जानवर की चिंता है और ना इंसान की , तो आपही सोचिये इन पार्टियों को हमारी कितनी चिंता है।

सोचो क्या ऐसा हो सकता है :

क्या हम कभी हिन्दू , मुस्लिम के आलावा भारत के युवा पीढ़ी को और भारत को कैसे सबको एक साथ लेकर आगे बढ़ाया जाये इसके बारे में नहीं सोच सकते। क्या हम किसी एडुकेटेड Mla , Mp , Cm , Pm के हात हमारा देश नहीं दे सकते। क्या यही जाती धर्म के नाम पर हम हमारी आनेवाली पीढ़िया और हमारे भारत का भविष्य ख़राब करे। सोचना आपको है……. जय हिन्द

 

 

 

 

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