Election Result 2024 : ४ जून को लोकसभा इलेक्शन का रिजल्ट लगा है , पर इस बार भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका लगा है , क्या इस बार मोदी को पंतप्रधान बनने में हो सकती है दिक्कत ?
४ जून २०२४ (Election Result 2024) को लोकसभा इलेक्शन के नतीजे सामने आये है ,जिस भारतीय जनता पार्टी ने ४०० पार का नारा लगाया था , पर नतीजे सामने आने पर BJP को बड़ा झटका लगा है। पोल के नुसार भारतीय जनता पार्टी को ३५० से ४०० जगा मिल सकती है , और इंडिया अघाड़ी को १०० से १३५ जगा मिल सकती थी।
पर ४ जून को जब नतीजे सामने आने लगे तब BJP को ३५० से निचे आकर २३९ के आकड़े पर समाधान मानना पड़ा। इंडिया अघाड़ी को लोकसभा में बड़ी सफलता मिली है , १०० से १३५ सीटों का दावा करने वाले पोल की पोल खोलकर २३४ (India Alliance Seats) सीटे मिली है , तो NDA अलाइंस को २९३ सीट्स मिली है , और अपक्ष को १८ सीट्स मिले है।
भारतीय जनता पार्टी को महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में बड़ा झटका मिला है , महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी को सिर्फ ९ सीटे मिली है , तो उत्तर प्रदेश में ३२ सीट्स मिली है। इन दो राज्य की वजह से मोदी को पंतप्रधान बनने में दिक्कतो का सामना करना पड़ रहा है , २०२४ में BJP का खुद के दम पर सरकार बनाने का सपना पूरा नहीं हो पाया।
NDA के पास आपने मित्र पक्ष का सपोर्ट पर २९३ (NDA Seats 2024) सीट है , पर नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू इस इलेक्शन के हुकुम के इक्के साभीत होते नजर आ रहे है। नितीश कुमार और चंद्रबाबू जिसको सपोर्ट करेंगे उसी पक्ष की सरकार भारत में आ सकती है।
इंडिया आघाडी के सरकार ने सत्ता का दावा अभीतक नहीं किया है , राहुल गाँधी का कहना है की हमें NDA को सत्ता बनाने देना चाहिए , क्योकि NDA और चंद्रबाबू , नितीश कुमार का रिश्ता ज्यादा दिन तक नहीं टिकने वाला है। जब इन लोगोमे झगड़ा हो जाये तब हम सत्ता का दावा करेंगे , नितीश कुमार और चंद्रबाबू अभीतक NDA के साथ ही रहने का मन बना चुके है।
पर इस साल २०२४ को BJP को उनका ओव्हर कॉन्फिडेंस बेहद महंगा पड़ा , ED , CBI और सभी सरकारी एजेंसी का दुरपयोग , राज्यों में सरकार गिराना , पार्टी तोडना , अपोजिशन पार्टी के नेता को धमकाना और अपने पार्टी में लेना , इन सभी गलत निर्णय के वजह से बीजेपी को बेहद बड़ा झटका लगा है।
उत्तर प्रदेश इलेक्शन २०२४ :
उत्तर प्रदेश में BJP को बेहद बड़ा झटका लगा है , योगी अदित्यनाथ इलेक्शन के पहले ७० सीटों का दावा कर रहे थे। पोल के नुसार उत्तर प्रदेश में बीजेपी को सबसे ज्यादा सीट्स मिल सकती थी , पर UP के जनता ने समाजवादी पार्टी को ३७ साइट मिली है। भारतीय जनता पार्टी को ३३ सीटे , कोंग्रस को ६ सीटे , राष्ट्रीय लोक दल को २ सीट मिली है।
कहा जाता है जिसके हात में UP , उसका दिल्ली की गद्दी पक्की होती है , पर उत्तर प्रदेश में बीजेपी के रथ को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस से रोख लगाई है। इसी तरह महाराष्ट्र में भी उद्धव ठाकरे की सेना , शरद पवार की राष्ट्रवादी और कांग्रेस ने बड़ा झटका मोदी सरकर को दिया है।
महाराष्ट्र इलेक्शन २०२४ :
महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी ने उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी तोड़कर सरकार बनाया है , इसी का ग़ुस्सा महाराष्ट्र की जनता में था , और इलेक्शन के पहले शुरू हुआ मराठा आंदोलन का बीजेपी को बड़ा झटका महाराष्ट्र में मिला है।
मराठा आन्दोलको पर बीजेपी सरकार के होम मिनिस्टर देवेंद्र फडणवीस ने लाठी चार्ज के लिए दियी परमिशन , मराठा के खिलाफ OBC नेताओ को भड़का कर दोनों समाज में झगड़ा लगाने का काम फडणवीस की तरफ से हुआ था , इसका ग़ुस्सा और फडणवीस की राजनीती को महाराष्ट्र की जनता ने पहचानकर बीजेपी को बड़ा सेटबैक दिया है।
महाराष्ट्र में कोंग्रस पार्टी को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है , २०१९ के इलेक्शन में कांग्रेस को ०१ सीट मिली थी , पर इस बार जनता मियाउ राहुल गाँधी की क्रेज दिखने मिली है।
मोदी को रोखने में बलेही इंडिया आघाडी को बहुमत नहीं मिला , पर सत्ता के नजदीक और एक भक्कम विपक्ष खड़ा करने में जनता और राहुल गाँधी का योगदान सबसे बड़ा था। इस बार मोदी से ज्यादा लोग राहुल गाँधी पर भरोसा कर रहे थे इसी वजह से महाराष्ट्र में कॉन्ग्रेस का बड़ा कमबैक हुआ है , महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी को १३ सीट मिली है , और एक अपक्ष MLA का सपोर्ट भी मिला है।
कांग्रेस के पास महाराष्ट्र में कोई फेमस नेता भी नहीं था , फिर भी राहुल गाँधी के भारत जोड़ो यात्रा का प्रभा लोगो पर था। लोगो में जाकर लोगो की समस्या , दुःख को राहुल गाँधी ने समझा , लोगो में जाकर आपने पण का एहसास दिया , लोगो के भाई के लिए सरकार आने के बाद कांग्रेस क्या कर सकती है , इन सभी मुद्दों को समझाने में राहुल गाँधी के प्रयास को सफलता मिलती दिखी।
२०२२ में महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना के ४० विधायको तोड़कर एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर बीजेपी ने महाराष्ट्र में सत्ता बनायीं थी , विधायक जाने के बाद उद्धव ठाकरे को आपने मुख्यमंत्री पद का इस्तीफा देना पड़ा , पर बीजेपी यही पर ही नहीं रूखी , बीजेपी ने शिवसेना पक्ष को इलेक्शन कमीशन पर दबाव डालकर एकनाथ शिंदे के हात सोफ दिया।
फिर उद्धव ठाकरे कोर्ट पहुंचे पर सभी कारवाही धीमे और उद्धव ठाकरे के खिलाफ जाने लगी , इसी का ग़ुस्सा महाराष्ट्र के शिवसेना के लोगो में था , और ये बीजेपी के भी कुछ लोगो को पसंद नहीं था। पार्टी टूटने और पार्टी का सिम्बोल , पार्टी हात से जाने के बाद महाराष्ट्र में ठाकरे के लिए बेहद सीम्पत्ति बनी , इसी का फायदा २०२४ के इलेक्शन में उद्धव ठाकरे को हुआ है।
सबकुछ छीन जाने के बाद भी ठाकरे को महाराष्ट्र में ०९ सीट मिली , ०१ जगह पर कुछ वोटो की हेराफेरी हुई है , नहीं तो उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे १०-१३ सीटे मिल सकती थी।
जैसे उद्धव ठाकरे के साथ बीजेपी ने किया उसी तरह शरद पवार के भतीजे अजित पवार के साथ मिलकर शरद पवार की पार्टी राष्ट्रवादी को बीजेपी ने तोडा। ४० विधायक को लेकर अजित पवार उप-मुख्यमंत्री पद की शपत लेते है , ये वही अजित पवार है जिनके सिंचाई घोटाले के बारे में पंतप्रधान भरी सभा में आरोप लगते है। उसके कुछ दिनों बाद ही अजित पवार बीजेपी में अपने ४० विधायक को लेकर शामिल होते है।
पर शरद पवार की पार्टी छीनने के बाद भी शरद पवार ने अपने दम पर ८ सीटे चुनकर लाई है ,तो अजित पवार ने ०१ सीट को जिताया है। महाराष्ट्र में शरद पवार सबसे अनुभवी और बुजुर्ग नेता है , फिरभी ओ सत्ता को हिलाने का दम रखते है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बिना राजनीती हो ही नहीं सकती , ये दो नाम महाराष्ट्र के राजनीती को हिलाकर रखते है।
२०१९ में बीजेपी ने २३ सीट पर जित हासिल की थी , पर फडणवीस की राजनीती को महाराष्ट्र के लोग परेशान हो गए थे , इस बार बीजेपी को महाराष्ट्र में सिर्फ ०९ सीट मिली है , इसको महाविकास अघाड़ी ने भी बड़ी जोर से रोखा है।
महाराष्ट्र में बीजेपी को ०९ सीटों पर समाधान मानना पड़ा है , २०२४ में बीजेपी को १४ सीटों पर झटका लगा है। तो एकनाथ शिंदे की शिवसेना को ०७ जगह पर ही समाधान मानना पडा है। अजित पवार की राष्ट्रवादी को सिर्फ ०१ सीट मिली है , इलेक्शन के नतीजे सामने आने के बाद सभी महायुति के नेता ने अपनी गलतिया मान्य की है , और उसे सुधारने ने का प्रयास कर रहे हे।
महाराष्ट्र की जनता ने स्पष्ट किया की वे गंधी राजनीती को सपोर्ट नहीं करते , इसी कारन महायुती और ज्यादातर बीजेपी को बड़ा सेटबैक मिला है।